खेती बाड़ी

कृषि विशेषज्ञों की सलाह से मटर की खेती से ले ज्यादा उत्पादन, जाने संपूर्ण जानकारी

थोड़ी समय पश्चात रबी सीजन 2024 की फसलों की बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है. अगर आप भी मटर की खेती करने का विचार कर रहे हैं, तो कृषि विशेषज्ञों की सलाह से अधिक उत्पादन ले सकते हैं.

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Pea Cultivation: मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा सहित प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में खरीफ की फसल का काम कटाई का जोर-शोर से चल रहा है. ऐसे में किसान भाई जल्द ही रबी सीजन में खेतों की जुताई करके बुवाई करने वाले हैं.

 

अगर आप भी किसान हैं और खेती का कार्य करते हैं. तो कृषि विशेषज्ञों की सलाह से कम खर्च के साथ अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए मटर की खेती कर सकते हैं. देश भर के सभी क्षेत्र में गेहूं की खेती को प्रमुखता दी जाती है परंतु अगर आप मटर की खेती करते हैं तो, यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है.

 

किसी भी कार्य को करने के लिए मेहनत और उचित समय जरूरी है. उसी प्रकार अगर आप भी वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार कृषि पर उचित समय पर बुवाई वह अन्य सभी उर्वरक और रसायन का प्रयोग करते है. तो अपनी खेती पर भी अधिक आए ले सकते हैं. इस लेख में जानते हैं कि, मटर की खेती में ज्यादा उत्पादन लेने के लिए क्या किया जा सकता है.

 

मटर की खेती में विशेषज्ञों की सलाह

 

उपयुक्त मिट्टी: मटर की खेती के लिए चिकनी दोमट रेतीली मिट्टी और भुरभुरी मिट्टी में अधिक बेहतर मानी जाती है. मृदा का पीएच मान 6 से 7.5 तक होना चाहिए. इसके अलावा आपको जल निकासी के लिए उचित प्रबंध करना जरूरी है.

 

बीज मात्रा व बुआई समय: मटर बीज प्रति हेक्टेयर 50 से 60 किलोग्राम छोटे दाने वाले कर सकते हैं. वह बड़े दाने होने पर 80 से 90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए. मटर की खेती की बुवाई का सबसे उत्तम समय अक्टूबर महीने के अंत तक शुरू हो जाता है व 15 नवंबर तक बुवाई कर सकते हैं. इसके अलावा अक्टूबर के प्रथम पंखवाड़े में उत्तर भारत के अन्य इलाकों में बुवाई की जा सकती है.

 

बीज उपचार: बुआई से पहले बीज का उपचार करना बहुत आवश्यक है. मृदा में कवक अन्य जीवाणु जनित रोग होते हैं जो की मटर के बीज को अंकुरित होते समय भी नुकसान पहुंचा सकते हैं इसके लिए आपको 50% कार्बनडाजिम + थीरम 75% का प्रयोग बीज की मात्रा के अनुसार कर सकते हैं। इसके अलावा ट्राईकोडरर्मा 4.0 ग्राम बीज की दर से मिलकर बुआई की जा सकती है.

 

उर्वरक: अपने एरिया की मृदा व वातावरण के अनुसार फसल में उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए मटर की खेती में 15 से 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम गंधक, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग प्रति हेक्टेयर तक डाल सकते हैं. इसके अलावा अन्य सूक्ष्म पोषक की पूर्ति के लिए 15 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर जिंक का प्रयोग कर सकते हैं.

 

रसायन: अन्य फसलों की तरह बढवार और ज्यादा उत्पादन के लिए निराई गुड़ाई करना अति आवश्यक है. इसलिए प्रथम सिंचाई से पहले एक बार गुडाई अवश्य कर दें व दूसरी सिंचाई के बाद भी एक बार निराई अवश्य करें. इसके अलावा आप पेणडीमेथलीन 30% E.C. का प्रयोग 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के दो से तीन दिन पहले छिड़काव करने से खरपतवार नियंत्रण कर सकते हैं.

 

बुवाई के तुरंत पहले खरपतवार नियंत्रण के लिए फलुक्लोरलीन 45% E.C की 2.2 लीटर मात्रा 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से कर सकते हैं. एलाकलोर की 50% E.C. की 4 लीटर मात्रा को भी उपरोक्त पानी में घोलकर बुआई से दो-तीन दिन पहले छिड़काव करने से खरपतवार नियंत्रण हो सकता है.

 

 

प्रमुख किस्में: देश भर के अलग अक्षरों के लिए मटर की अनेक प्रजातियां है. पंजाब-89, पंत मटर 250, HFP- 1428, IPFD 12-8, HFP-715, IPFD-13-2, व कोटा मटर इत्यादि प्रमुख मटर की प्रजातियां है. इसके अलावा अन्य मटर की उन्नत प्रजातियां अनुमोदित की गई है.

 

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नोट: किसान भाइयों हमारे द्वारा दी गई जानकारी किसानों तक सही और सटीक जानकारी पहुंचना है। अपनी फसल की बुवाई करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें। हमारे द्वारा दी गई जानकारी का माध्यम किसानों व अन्य क्षत्रों से ली गई है। बीज का चयन व रसायन और उर्वरक का प्रयोग करने से पहले अपने नजदीकी सलाहकारों व विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लें।

Web Desk

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